25 महीने की मासूम की मौत, सीहोर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

संजीव पॉल
संजीव पॉल

बरखेड़ी गाँव में चल रहे मुस्कान अस्पताल को 6 महीने पहले प्रशासन ने सील कर दिया था। तब भी मीडिया ने ज़ोर-शोर से खबर उठाई थी और तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण सिंह ने CMHO सुधीर कुमार डेहरिया को एक्शन लेने को कहा था।

लेकिन क्या हुआ?

अस्पताल फिर से चालू हो गया — बिना किसी रजिस्ट्रेशन, बिना किसी डॉक्टर के नाम की बोर्ड के!

मासूम की मौत और प्रशासन की चुप्पी

ग्राम पिपलिया मीरा की एक 25 महीने की मासूम बच्ची को इलाज के लिए मुस्कान अस्पताल लाया गया। लेकिन इलाज ऐसा मिला कि बच्ची की सांसे थम गईं। परिजन गुस्से में हैं और अस्पताल के मालिक अशोक विश्वकर्मा पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल — CMHO सुधीर डेहरिया इस पर अभी भी “No Comments” मोड में क्यों हैं?

क्लिनिकों का सिंडिकेट – जिम्मेदार कौन?

सीहोर जिले में ऐसे न जाने कितने “जुगाड़ू अस्पताल” चल रहे हैं जो बिना रजिस्ट्रेशन, बिना डॉक्टर के मेडिकल स्टूडेंट्स से इलाज करवा रहे हैं।

और CMHO साहब?

उनका ध्यान शायद हेल्थ रिपोर्ट्स पर नहीं, व्हाट्सएप फॉरवर्ड्स पर ज्यादा रहता है।

परिजनों की मांग: “मुस्कान अस्पताल हो बंद, जिम्मेदार जाएं जेल”

परिजनों ने साफ कहा है:

“यह हत्या है, लापरवाही नहीं। अगर 6 महीने पहले ही सील किया था, तो फिर अस्पताल खुला कैसे?”

जवाब कौन देगा?

मुख्य चिकित्सा अधिकारी?
जिला प्रशासन?
या फिर, हमेशा की तरह, कोई नहीं?

CMHO का नया जॉब प्रोफाइल: Health छोड़ो, Hospitality पकड़ों!

माना जा रहा है कि सुधीर डेहरिया जी अब CMHO (Chief Medical & Hospitality Officer) बन चुके हैं — VIP ट्रीटमेंट देना, पॉलिटिशियनों की मीटिंग अटेंड करना, और जनता को “Seen” में डालना — इनका नया मिशन है!

क्या होगा अगला कदम?

  • क्या प्रशासन अब जागेगा?

  • क्या फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई होगी?

  • या फिर अगली खबर में किसी और मासूम की मौत की रिपोर्ट आएगी?

Stay Tuned… क्योंकि सीहोर में हेल्थ सिस्टम नहीं, सिर्फ हेडलाइन चल रही है।

“स्वास्थ्य विभाग नहीं, समझौता विभाग चल रहा है!”

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